kanchan singla

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हे पार्थ !

हे!! पार्थ तुम अंधेरों से ना घबराना 
रोशनी की किरणों को ढूंढ निकालना
गर जो ना मिले तुम्हें चरागो में रोशनियां
तुम मन के दीप जलाकर
अंधकार के कूप को मिटा देना 
तुम बचे और अधजले दीयों को उठा लेना
रोशनी की एक बत्ती जलाकर
उन्हें अंधरों में रख आना
बस बुझने ना देना उसे
तेज आती उदासी भरी हवाओं से
तुम बुझने ना देना अपने मन को
दुख, शोक और गहरे संताप से
तुम खुशी की कोई लहर तलाशना
हंसने का बहाना ढूंढना
हो सके तो किसी को हंसते देख
मन ही मन मुस्कुराना देना
तुम अंधेरों से ना घबराना
तुम अपने उजालों से 
बुझते चरागों को भी प्रकाशित कर देना ।।

लेखक
लेखनी प्रतियोगिता -12-Nov-2022

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9 Comments

Gunjan Kamal

16-Nov-2022 08:01 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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बेहतरीन बेहतरीन

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Abhinav ji

13-Nov-2022 09:33 AM

Nice 👍

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